हमारे बुनकर
पैठणीने बदल दी बुनकरों की जिंदगी
- युवाओं को रोजगार, देश को सहारा: यदि किसी समाज में युवाओं को रोजगार मिले तभी वह समाज आर्थिक और सामाजिक रूप से विकसित हो सकता है। हमने पैठणी उत्पादन के माध्यम से 21 से 40 आयु वर्ग के लगभग 68 प्रतिशत युवा बुनकरों को रोजगार दिया है।
- अंतिम चरण की प्राथमिकता: हमारे साथ काम करने वाले बुनकरों में से लगभग ३४ प्रतिशत बुनकर किसान परिवारों के युवा हैं और २४ युवा आदिवासी समूहों से हैं, जबकि कुल ६० प्रतिशत बुनकर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों से हैं।
- शिक्षा छोड़ने वालों के लिए विकल्प: पैठणी उत्पादन औपचारिक शिक्षा छोड़ने वालों के लिए रोजगार का एक स्रोत बन सकता है। हमारे ७४ प्रतिशत बुनकरों ने मुश्किल से १० वीं-१२ वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई की है। फिर भी, उनमें से लगभग ८० प्रतिशत प्रति माह औसतन १०,००० रुपये कमाते हैं।
- रोजगार के साथ सामाजिक सुरक्षा: सूती ग्रुपसे जुड़े अधिकांश बुनकरों के पास आज अपना हथकरघा है। उस हथकरघा में रोजगार के साथ-साथ कौशल विकास, जीवन बीमा कवर और बेहतर आश्रय व्यवस्था भी आती है।
आज की परिस्थिति
पैठणी उद्योग में बुनकर कहाँ?
पैठणी उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार एवं आजीविका प्रदान करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है। लेकिन इस क्षेत्र में वित्तीय उपलब्धि बहुत कम है। साथ ही यहां रोजगार की कोई सुरक्षा नहीं होने के कारण ग्रामीण इलाकों के अधिकांश बुनकर विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे हैं।
रोजगार की गारंटी नहीं
वर्तमान में, भारतीय हथकरघा क्षेत्र में ३१ लाख परिवार हथकरघा और संबंधित गतिविधियों में लगे हुए हैं। लेकिन उनमें से कई लोगों के पास रोज़गार की कोई गारंटी नहीं है।
कौशल, धन की कमी
महाराष्ट्र में हथकरघा उद्योग कुशल श्रमिकों की कमी और धन की कमी का सामना कर रहा है। इससे इस उद्योग की हालत खस्ता हो गयी है।
पारंपरिक कला ख़त्म हो रही है
हथकरघा पर बुनी गई पैठणी महाराष्ट्र का गौरव है। लेकिन आज पारंपरिक तरीके से पैठणी बुनने की कला ख़त्म होती जा रही है।
पैठणी महाराष्ट्र के बाहर बनती है
महाराष्ट्र में पैठणी उद्योग में कई समस्याओं के कारण आज देश में पैठणी का लगभग ८५ प्रतिशत उत्पादन और बिक्री महाराष्ट्र के बाहर होती है।
पैठणी करघे पर बनाई जाती है
आज बाजार में अधिकांश पैठणी करघे पर बुनी जाती हैं। इसीलिए कापसे ग्रुप महाराष्ट्र की पारंपरिक हथकरघा बुनाई को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है।
विकलांगों, बधिरों और मूक व्यक्तियों के लिए सम्मानजनक कार्य
दिव्यांगों द्वारा बनाई गई एक दिव्य कलाकृति
जिनके कानों में भगवान ने संगीत सुनने की क्षमता नहीं दी, विधाता ने कलाकृतियां बनाने की कला दे दी है। यदि आप उस कला को जानते हैं, तो यह उस भगवान द्वारा की गई सर्वोत्तम पूजा है। इसलिए हम कापसे ग्रुप में उन दिव्यांगों को सम्मान देते हैं जो समाज में खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। आज हमारे साथ काम करने वाले दिव्यांग लोग सम्मान के साथ काम करके अपना जीवन यापन कर सकते हैं |
- विकलांग व्यक्तियों के लिए पैठणी बुनाई को वरीयता
पैठणी बुनना बहुत ही श्रमसाध्य और मेहनत भरा काम है। विकलांग लोगों में किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने और काम करने की असामान्य क्षमता होती है। साथ ही, वे हमारे कानों पर पड़ने वाले विकर्षणों से भी परेशान नहीं होते हैं। इसलिए, ये विकलांग पैठणी बेहतरीन कलाकृतियां बना रहे हैं और अपने लिए रोजगार के अच्छे अवसर पैदा कर रहे हैं।
- विकलांगों के लिए आश्रय , भोजन और सुरक्षा
हमारे साथ काम करने वाला एक विकलांग व्यक्ति हमारे ग्रुपका एक विशेष सदस्य है। यहां हर कोई परिवार के सदस्य की तरह उनका ख्याल रखता है। आज ऐसे दिव्यांग व्यक्तियों के जरूरतमंदों को पैठणी कॉम्प्लेक्स में ही निःशुल्क या मध्यम लागत पर आवास उपलब्ध कराया जाता है। उनके भोजन के लिए कैंटीन है और सामाजिक सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
सामाजिक मुद्दे हैं और रहेंगे। लेकिन, हमें इससे बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा!
पैठणी से संबंधित प्रश्न, कापसे ग्रुप के उत्तर
आज हमारे सामने पैठणी उद्योग और समग्र समाज, रोजगार, अर्थव्यवस्था से जुड़े कई सवाल हैं। हम इन मुद्दों पर हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते। हमारी नीति है कि हमें इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। तदनुसार, हमने निम्नलिखित चार सिद्धांतों के आधार पर काम करना शुरू कर दिया है।
- पैठणी बुनाई कला विरासत का संरक्षण
आज की मशीनीकृत दुनिया में हथकरघा बुनाई की कला को जीवित रखना चुनौती है। लेकिन असल पैठणी साज़ हथकरघा पर ही बनाई जाती है। इसलिए कापसे ग्रुप इस कला को जीवित रखने के लिए प्रशिक्षण, उत्पादन और संरक्षण के माध्यम से इस विरासत को संरक्षित करेगा।
- पैठणी उत्पादन के लिए एकीकृत संकुल
पैठणी सूत से लेकर इसकी बिक्री तक और पुरानी पैठणी के संग्रहालय से लेकर नई पैठणी के शोध तक हर चीज का अनुभव करने के लिए कापसे पैठणी कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जा रहा है। यह पैठणी के उत्पादन की सभी आवश्यकताओं को एक साथ पूरा करेगा।
- स्थानीय रोज़गार निर्माण
घर के नजदीक काम मिलना किसी के लिए भी आर्थिक विकास की कुंजी है। कापसे ग्रुप इस बात से अवगत है और येवले और आसपास के गांवों में बुनकरों को कॉम्प्लेक्स में या अपने घरों में पैठणी का उत्पादन करने के अवसर प्रदान कर रहा है।
- दिव्यांगों, आदिवासियों का विशेष सम्मान
रोजगार सृजन और बुनाई उद्योग का अभिनव संयोजन बनाने के लिए कापसे पैठणी ग्रुपने दिव्यांगों के लिए एक सम्मानजनक पेज लिखा है। जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले अनेक श्रवणबाधित लोगों और युवाओं के लिए यहां रोजगार प्राप्त करना विशेष प्राथमिकता है।
प्रशिक्षण सुविधाएँ और निवास स्थान
बुनकरों द्वारा बुना गया अपना घोसला
- पैठणी बुनाई का कौशल प्राप्त करने के लिए कापसे कॉम्प्लेक्स में प्रशिक्षण केंद्र की सुविधा उपलब्ध है। वहां नए आने वाले बुनकरों को प्रशिक्षण मिलता है। इसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। बल्कि कापसे ग्रुप इसकी देखभाल करता है।
- आज तक ……………… से अधिक बुनकरों ने कापसे ग्रुपमें शून्य से शुरू करके वस्तुतः प्रशिक्षण प्राप्त किया है। आज वह एक कुशल पैठणी बुनकर के रूप में काम कर रहे हैं। उनमें से कई आज प्रति माह १० हजार से अधिक कमा रहे हैं।
- कापसे ग्रुप की योजना के अनुसार अगले सात वर्षों में लगभग १४,४०० बुनकरों को प्रशिक्षित और नियोजित किया जाएगा। पहले चरण में कापसे पैठणी पार्क की क्षमता बढ़ाकर ८,४०० बुनकरों को प्रशिक्षित किया जाएगा और दूसरे चरण में येवला क्षेत्र में घर-घर जाकर ५००० बुनकरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
- इन बुनकरों के लिए एक अच्छी और वांछनीय कॉलोनी बनाई गई है और आज वहां …………. अधिक बुनकर रह रहे हैं। साथ ही, उनमें से कई ने अपना घर भी बना लिया है। इससे साबित हो गया है कि जब हाथों को काम मिलता है तो इंसान नए सपने गढ़ता है।